श्रीमद् भगवत गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि जब-जब धर्म की हानि होती है अधर्म और पाप का बोलबाला होता है तब तब धर्म की स्थापना के लिए मैं अवतार लेता हूं श्रीमद् भगवत पुराण के 12वें स्कंध में लिखा है कि भगवान का कल की अवतार कलयुग के अंत और सतयुग के संधिकाल में होगा भगवान श्री राम और भगवान श्री कृष्ण का अवतार भी अपने-अपने युगों के अंत में हुआ था इसलिए जब कलयुग का अंत आएगा तो भगवान कल की जन्म लेंगे हमारे धर्म ग्रंथों में एक श्लोक आता है संभल ग्राम मुख्य स्य ब्राह्मण स्य महात्म भगवन विष्णु यश स कल्की प्रादुर्भाव में विष्णु यश नामक श्रेष्ठ ब्राह्मण के पुत्र के रूप में भगवान कल्की जी जन्म लेंगे देवदत्त नामक घोड़े पर सवार होंगे अपनी तलवार से दुष्टों का संहार करेंगे और तब सतयुग का प्रारंभ होगा भगवान विष्णु का अवतार कल्की अवतार के रूप में जाना जाएगा इस अवतार में उनकी माता का नाम सुमति होगा तीन बड़े भाई होंगे सुमंत प्राज्ञ और कवि के नाम से जाने जाएंगे याज्ञ वल्की जी पुरोहित और भगवान परशुराम जी उनके गुरु होंगे |
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Hindi – 10
भगवान श्री कल्की जी के चार पुत्र होंगे जय विजय मेघ माल और बलाह और उनकी जो पत्नी है उनका नाम वैष्णवी रूपी रमा और लक्ष्मी रूपी पद्मा होगा महाभारत और बहुत सारे धर्म ग्रंथों के रचयिता महर्षि वेदव्यास जी ने हजारों वर्ष पूर्व यह भविष्यवाणी की थी कि जैसे जैसे कलयुग का समय बीतेगा धरती पर पाप बढ़ेगा अत्याचार बढ़ेगा व्यक्तियों में संस्कारों का नाश होगा कोई गुरु की नहीं सुनेगा वेदों को नहीं मानेगा अधर्म अपने चर्म पर होगा तब भगवान कल की अपने गुरु भगवान परशुराम के निर्देश पर भगवान शिव जी की तपस्या करेंगे शक्तियों को प्राप्त करेंगे और उसके बाद देवदत्त घोड़े पर सवार होकर पापियों का संहार करेंगे और धर्म का पताका लहराएंगे उसी के बाद सतयुग की शुरुआत होगी आप देख रहे हैं कथा मदार ज कार्तिक आज की कथा है भगवान श्री कल्की की अग्नि पुराण में भगवान कल्की अवतार के स्वरूप का चित्रण होता है जिसमें भगवान तीर कमान के साथ घुड़सवारी जो है करते हुए नजर आते हैं और कहा जाता है कि भगवान का स्वरूप 64 कलाओं से परिपूर्ण होगा सफेद रंग के घोड़े पर सवार होंगे श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को भगवान कल के अवतार लेंगे हालांकि उनके अवतरण से पहले ही जयपुर के संस्थापक सवाई जयसिंह द्वितीय ने 1739 में जयपुर में भगवान कल्की जी के मंदिर का निर्माण कराया था भगवान विष्णु जी के दसवें अवतार कल्की जी का जो मंदिर है वह हवा महल के सामने जो परकोटा का क्षेत्र है वहां दक्षिणायन शिखर शैली में कराया गया था उस मंदिर का निर्माण और यहां भगवान कल्की के स्वरूप को प्राण प्रतिष्ठित किया गया साथ ही इस मंदिर के अहाते में एक छत्रिय नुमा जो गुमटी है उसमें पीले संगमरमर से बनी अश्व की प्रतिमा है कहा जाता है कि इस अश्व की प्रतिमा का पिछले पैर का खुर जो है खंडित है इसके पैर में घाव है जैसे जैसे घाव भरता जा रहा है समय के साथ और जिस दिन यह घाव पूरी तरीके से भर जाएगा उसी दिन भगवान विष्णु के दसवें अवतार भगवान श्री कल्की का जन्म होगा जो अपने शत्रु कली पुरुष का संहार करेंगे जो बहुत बड़ा शक्तिशाली राक्षस होगा कली पुरुष के प्रभाव से लोगों को मुक्त कराएंगे यह वही कली पुरुष है जिसे समुद्र मंथन के समय अमृत की कुछ बूंदे मिल गई थी जो बहुत माहिर योद्धा होगा उसका संहार करेंगे और नर लीला भगवान करेंगे जिसे देख कर के लोक परलोक के प्राणी धन्य हो जाएंगे कहा जाता है कि अनेक देवी देवता भी उनके पृथ्वी पर आने के पूर्व अपना अवतार ले चुके होंगे बड़े-बड़े ऋषि महात्मा देवी देवताओं के अवतार होंगे जो जन्म ले चुके होंगे लेकिन अब बात कर रहा हूं उनकी जो भगवान कल्कि की मदद करेंगे और वो पहले से ही धरती पर हैं ये कौन है आइए इनके बारे में बात करते हैं आपके भी बुजुर्गों ने आपको आशीर्वाद दिया होगा चिरंजीवी भव चिरंजीवी यानी चिरकाल तक जीवित रहने वाला कहा जाता है पृथ्वी लोक पर सप्त चिरंजीवी हैं और यह जो सप्त चिरंजीवी हैं यह मदद करेंगे भगवान श्री कल्की कि जब महायुद्ध होगा माना जाता है कि यह भगवान श्री कल्की की मदद करेंगे और कलयुग को वापस सतयुग में ले जाएंगे क्योंकि कलयुग में भगवान के अवतार को मार्गदर्शन और शिक्षा देने में सक्षम कोई शिक्षक नहीं मिलेगा इसलिए सप्त चिरंजीवी बनाए गए सबसे पहले चिरंजीवी की बात कर लेते हैं भगवान श्री परशुराम जी भगवान श्री विष्णु जी के छठे अवतार भगवान श्री परशुराम जी चिरंजीवी कैसे बने उसके पीछे एक कथा है कहा जाता है एक बार उनके पिता बहुत क्रोध में थे और क्रोध में आकर भगवान परशुराम जी से कहा क्या अपनी माता का शीश काट दीजिए ऐसे में परशुराम जी ने अपने पिताजी की बात का सम्मान किया और अपनी मां का शीश काट दिया उनके पिता प्रसन्न हुए और कहा कि कोई भी वरदान मांग लो तब भगवान परशुराम जी ने मांगा कि माता को जीवित कर दीजिए और उनकी व स्मृति जो है भुला दीजिए जब पिताजी प्रसन्न हुए तो उन्होंने कहा कि मैं आपको पृथ्वी के अंत तक जीवित रहने का वरदान देता हूं आप चिरंजीवी होंगे कलयुग के अंत में भगवान कल्की के गुरु बनेंगे और उन्हें 64 महाकौशल विद्या सिखाने में मदद करेंगे कहा जाता है भगवान श्री राम जी के पास और भगवान श्री कृष्ण जी के पास भी इतनी महाकौशल विद्याओं नहीं थी 64 महाकौशल विद्याओं के साथ अस्त्र शस्त्र और दिव्य हथियार चलाने की जो महारत है वो भगवान श्री कल्की जी के पास होगी और इन सब कौशल काओं को पाने में परशुराम जी भगवान श्री कल्की जी की मदद करेंगे दूसरे चिरंजीवी की बात करते हैं जो है राजा बली राजा बली जो कि असुरों के राजा थे बहुत शक्तिशाली थे एक बार उनके गुरु शुक्राचार्य ने उनसे विश्व विजय यज्ञ करने को कहा जिससे पूरी पृथ्वी उनके वश में हो जाती ऐसे में उन्होंने यज्ञ की तैयारी की देवी देवता परेशान हो गए भगवान विष्णु जी के पास गए मदद मांगी भगवान जी ने वामन उतार लिया राजा बली के पास पहुंचे राजा बली ने उनका स्वागत किया कहा कि मैं आपको दक्षिणा में क्या दे सकता हूं तब भगवान विष्णु जी ने कहा कि ज्यादा कुछ नहीं चाहिए बस तीन पग यानी कि तीन कदम की धरती चाहिए राजा बली खुश हु उन्होंने कहा अवश्य भगवान विष्णु जी का जो वामन अवतार था बहुत विशाल हो गया और अपने एक कदम से पूरी पृथ्वी दूसरे कदम से पूरा स्वर्ग लोक नाप लिया तब राजा बलि को मालूम पड़ा कि ये तो स्वयं भगवान श्री हरि है तो उन्होंने पूछा राजा बलि से भगवान विष्णु जी ने कि तीसरा कदम कहां रखूं तो राजा बलि ने अपना शीष उनके सामने रख दिया और कहा आप अपना तीसरा कदम जो है अब मेरे शीष पर रख दीजिए भगवान विष्णु जी राजा बलि के स्वभाव से प्रसन्न हुए और उन्हें अमरता का वरदान दिया वो चिरंजीवी बन गए कहा जाता है कि कलयुग में जब युद्ध होगा तो राजा बली अपनी सेना के साथ आएंगे और भगवान कल्की जी की मदद करेंगे अब बात करते हैं तीसरे चिरंजीवी भगवान श्री हनुमान जी की सबको भगवान श्री हनुमान जी के बारे में मालूम है सब जो है पूरी कथा जानते हैं ।
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Gujarati – 10
वो दूसरों का घमंड तोड़ने में सही रास्ता दिखाने में सबसे उत्तम है भगवान श्री हनुमान जी आज के समय में पृथ्वी पर हमारे साथ है उनका आशीर्वाद हमारे साथ है एक कथा है कि जब भगवान श्री राम को अपने धाम वापस जाना था तो उन्होंने हनुमान जी के साथ एक रचना रची राम जी ने अपनी एक अंगूठी एक जमीन की धरती की जो दरार थी उसमें फेंक दी और दरार पाताल लोक तो जाती थी भगवान राम जी ने हनुमान जी से कहा आप मेरी जो अंगूठी लाकर के दे दीजिए मुद्रिका लेने के लिए प्रभु के आदेश का पालन करते हुए दरार में गए और हनुमान जी के जाने के बाद ही भगवान श्री राम जी वैकुंठ लोक जोए जा सके और हनुमान जी को वरदान में चिरंजीवी रहने का अमरता का जो है वरदान मिला कलयुग के अंत में भगवान कल्की की मदद करने भगवान श्री हनुमान जी उनके सारथी बनकर आएंगे और युद्ध में उनका अंत तक साथ देंगे अब बात करते हैं चौथे चिरंजीवी की दो भाई एक लालची क्रोध से भरा हुआ गुस्से से भरा हुआ हमेशा घमंड में डूबा रहने वाला और दूसरा शांत स्वभाव का प्रभु की भक्ति में मन लगाने वाला चौथे चिरंजीवी यानी कि रावण के भाई विभीषण रावण ने जिस रास्ते को चुना विभीषण जी ने उसके ठीक विपरीत रास्ते को चुना सच्चाई को अच्छाई को चुना रावण के बुरे कर्मों पर आवाज उठाई समझाने की कोशिश की और जब रावण ने नहीं सुनी तो विभीषण जी प्रभु श्री राम के पास गए और उनका साथ दिया कह पाना मुश्किल है कि विभीषण जी को अमरता का वरदान प्राप्त कब हुआ लेकिन कहा जाता है कि द्वापर युग में जब युधिष्ठिर जी का राज राज्याभिषेक हो रहा था तो विभीषण जी सहदेव जी से मिले थे ऐसी कथाएं और माना जाता है कि विभीषण जी को भी अमरता का वरदान प्राप्त है विभीषण जी ने जिस अच्छाई का साथ दिया उसी तरीके से विभीषण जी एक बार फिर से भगवान श्री हनुमान जी के साथ कलयुग के अंत में अच्छाई का साथ देंगे और भगवान श्री कल्की का साथ देंगे पांचवें चिरंजीवी की बात करते हैं जो है अश्वत्थामा गुरु द्रोणाचार्य का बेटा अश्वत्थामा जिसे अपने पिता के कारण अमर होने का वरदान मिला वरदान ऐसा जिससे बीमारी भूख प्यास हथियार के हमले कुछ नहीं बिगाड़ सकते आगे चलकर के अश्वथामा नेने दुर्योधन से दोस्ती की महाभारत के युद्ध में अपनी अमरता के घमंड के चलते कौरवों का साथ दिया और इतनी गलतियां की कि भगवान श्री कृष्ण ने अमरता के घमंड को श्राप में बदल दिया शरीर से हमेशा तुम्हारे दुर्गंध आएगी भूखे प्यासे रहोगे कोई मदद नहीं कर पाएगा लेकिन कहा जाता है कि कलयुग के अंत तक अश्वथामा को अपनी गलती का एहसास होगा कि कितनी बड़ी गलती की और पश्चाताप करते हुए कलयुग के अंत में जब महायुद्ध होगा तो अपनी कौशल जाओं का इस्तेमाल करेगा जो कि महाभारत के युद्ध में की थी और कलयुग के इस महायुद्ध में भगवान श्री कल्की जी का साथ देगा अब बात करते हैं ।
English – 10
छठे चिरंजीवी भगवान वेदव्यास जी के जिन्हें ज्ञान का देवता कहा जाता है जिन्होंने वेदों को चार भागों में बांटा है ऋग्वेद यजुर्वेद सामवेद अथर्ववेद इसीलिए उन्हें ब्रह्मांड का सबसे सर्वश्रेष्ठ लेखक कहा जाता है भगवान वेदव्यास जी जिन्होंने अपने जीवन काल में 18 पुराण लिखी जिनका ज्ञान पूरे ब्रह्मांड में फैला हुआ है माना जाता है कि जब कलयुग में भगवान कल्की का जन्म होगा तो भगवान कल्की को भगवान वेदव्यास जी वेदों और लिखी गई हर एक पुराण का ज्ञान प्राप्त कराएंगे जो कि युद्ध में उनकी सहायता करेंगे और अंत में बात करते हैं सातवें चिरंजीवी आचार्य की यानी कि कृपाचार्य के कृपाचार्य जो कि कौरवों के पांडवों के गुरु थे शिक्षक थे महाभारत युद्ध के सबसे शक्ति शक्तिशाली यद्ध की बात आती है तो उनका नाम आता है एक बार उन्होंने महाभारत के युद्ध में अर्जुन से धनुर्धर अर्जुन से भीषण युद्ध किया था भले वो युद्ध में कौरवों के साथ थे लेकिन पांडवों के साथ कभी उन्होंने अन्याय नहीं किया और उनके इसी भाव को देख कर के कहा जाता है भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें अमरता का वरदान दिया उन्हें बच्चे की मेंटालिटी को बहुत अच्छे अच्छी तरीके से समझने वाला माना जाता है क्योंकि शिक्षक थे इसलिए कहा जाता है कि कल्की जो अवतार होगा भगवान श्री कल्की की जो प्रारंभिक शिक्षा होगी वो कृपाचार्य जी देंगे अब बात करता हूं धार्मिक ग्रंथ क्या कहते हैं भगवान श्री कल्की का कब अवतार होगा कलयुग का प्रारंभ कहा जाता है 3102 ईसा पूर्व से हुआ था तब भगवान श्री कृष्ण ने पृथ्वी लोक से विदा लिया था तब कलयुग का प्रथम चरण शुरू हो चुका था कहा जाता है कि पृथ्वी पर कलयुग का जो इतिहास हैय 432000 वर्षों का होगा 3102 और 2024 5126 साल जो है कलयुग के बीत चुके हैं अभी भी 4268 74 साल बचे हुए हैं धार्मिक ग्रंथ ये कहते हैं कि कलयुग के अंत में भगवान कल्की का अवतार होगा वो आएंगे अधर्म का अंत करेंगे और फिर से सतयुग की स्थापना करेंगे हालांकि अभी कलयुग का बहुत कम समय बीता है इसलिए इस अवतार के होने में काफी समय जो है शेष है अभी तो आप और हम सिर्फ प्रतीक्षा कर सकते हैं कि कब भगवान कल्की जो है इस धरा के उत्थान के लिए धरती पर जन्म लेंगे